Monday, November 21, 2011

वो आँखें कुछ ढूंढती हैं ...


                          

वो आँखें कुछ ढूंढती हैं…उन लम्हों को फिर से जीने की तमन्ना देखती हैं..

कुछ जज़्बात हैं जिन्हें कहने की कोशिश करती हैं.. आंसुओं की नदियाँ दिल को थाम लेने की कोशिश करती हैं..

आईने में उसका अक्स आज भी दिखता है , हवा में उसकी रूह का एहसास आज भी महसूस होता है..

वो आज भी उन लम्हों को याद कर रोते होंगे , उस दिल के किसी कोने में हम आज भी बसते होंगे .. 

वो कह तो दें की वो हमारे हैं , उसके बाद उनके सारे ख्वाब उनके सामने होंगे..

भीड़ में आँखें एक ही चेहरा ढूंढती हैं , उन लम्हों को फिर से जीने की कोशिश करती हैं …

दिल कहता है साथ यहीं तक था , ज़िन्दगी में ठहराव और भी हैं ..

ज़िन्दगी कहती है यह तो एक इम्तेहान था , कमी तो शायद आज भी है ..

उन तरसती निगाहों से तो कुछ पूछ की किसको ढूंढ रही हैं , उन आँखों से तो पूछ जो कुछ सवाल कर रही हैं ….सबका एक ही जवाब है की ज़िन्दगी आज भी इंतज़ार कर रही है..