मुझे याद हैं वो रास्ते जो लेट जाते थे ज़मीन पर जब हम चला करते थे..
मुझे याद हैं वो पेड़ जो अपनी छावों फैलाते थे जब उनकी गोद में हम सोया करते थे ..
मुझे याद है वो पत्थर जिनकी ख़ामोशी ने हमारा हर एक राज़ जाना है, कभी अपनी जुबां नहीं खोली..
मुझे याद हैं वो समंदर जिसकी लहरों ने ख़ुशी ख़ुशी हमारे आँसूं अपना लिए जब हम रोये थे ..
मुझे याद हैं वो फूल जो मेरे कहने पर अपनी खूबसूरती तुम्हें दे गये ..
मुझे याद हैं वो बादल जिनकी बारिश में हमारे सारे बुरे दिन बह गये ..
मुझे याद है वो हवा जो मेरा पैगाम तुम तक पहुंचाया करती थी ..
अब तुम नहीं हो तो रास्ते , पेड़ , पत्थर , समंदर , फूल , बादल और हवा भी अजनबी से लगते हैं ..