“ अरे जूते तो पहन कर देख ले..”
“ रहने दो दी . वक़्त नहीं है , बुलावा आ गया है यूनिट से ... कल
रिपोर्ट
करना है , जूते फिर कभी नप जायेंगे “
“ देख तो ले “
“ चलो साथ ले जाता हूँ...”
“ और रिया का क्या होगा ? तेरे लकी हरे रंग के जूते हैं. उसके घर
नहीं जाएगा बात करने इन्हें पहन कर ? “
“ दी...पहले देश.. “
“ ठीक है , मुझे मत पढ़ा. रिया पे कितना मरता है मुझे पता है “
“ हेल्लो, अपर्णा दीदी मैं राजेश बोल रहा हूँ. अनंत को पैर में बारूदी
सुरंग के छर्रे लगे हैं,शायद अब न चल पाये. आप रिया को खबर मत
करना, उसने मना किया है “ .
4 महीने बाद “रिया गुप्ता“ के घर की सीढ़ियां चढ़ते वो ही हरे रंग के
जूते...
Thank God he was able to walk again ....nice story
ReplyDeleteVery emotional story, Shwetabh.
ReplyDeleteThank you for writing for #FridayFotoFiction
Very nice Shwetabh, I am glad he could walk. Thanks for linking up with #FridayFotoFiction
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