Sunday, March 6, 2022

वो चाय की ट्रे ........





वो चाय की ट्रे....

दो परिवारों से ज्यादा दो अजनबियों के बीच की ख़ामोशी को जोड़ती हुई

बस एक ज़रिया बन गयी है कुछ बातें कहने को, कुछ बातें सुनने को

लड़के की ख़ामोशी और लड़की की हिचकिचाहट को भाँपती हुई वो चाय की ट्रे

वो कुछ जानना चाहता है उसके बारे में, वो कुछ सुनना चाहती है उसके बारे में

इसी कशमकश की ख़ामोशी का हिस्सा बनती है वो चाय की ट्रे

ज़ुबा कुछ बोलना चाहती है मगर आँखें न जाने क्यूँ बस ज़मीन ताकती रहती हैं

वो चोरी छुपे देख लेता है उसको, वो भी भांप लेती है खुद पे उसकी आती जाती नज़रें

शुरू होता है कुछ बातों का सिलसिला

कितना रहस्मयी लगता है दूसरा इंसान और अजीब सी भाग दौड़ लगती है कुछ ही समय में उसको जान

लेने की

आँखों ही आँखों में घर वालों को हाँ का इशारा कर दिया जाता है

फिर एक बार फिर हाज़िर होती है वो चाय की ट्रे, मिठाई के साथ

रखे-रखे ही ठंडी हो जाती है वो ट्रे में रखी चाय जब सपनों की दुनिया में, सामने आई लड़की पहली नज़र में 
कहीं अधूरी रह जाती है

बर्फ के एक ठन्डे पानी सा लगता है एक चाय का घूँट भी तब

सपने टूटते हैं दोनों तरफ के और उसके अनदेखे काँच धंसते हैं बहुत अन्दर तक.

चाय की ट्रे पकड़े ही रह जाती है लड़की, उसके देखने आने वालों के आने वाले इंतज़ार के जवाब में ही

बस एक हंसी ख़ुशी की तकल्लुफ़ बन जाती है चाय जब वो अपने घर वालों को ले आता है उसके घर

वो जो उलझी रहती है दुनिया भर में बाकी दिन, आज अपने हाथों से चाय बना रही है सबके लिए

इश्क में दोनों की हाँ तो कब की हो गयी, अब तो सिर्फ एक रिवाज़ भर पूरा करना है

थोड़ा डर तो फिर भी है मन में और उस दबे मन में हजारों प्रार्थनाएं एक हाँ के लिए

एक हाँ के बाद की ख़ुशी तो शायद सबने देखी है , मगर दिल के अन्दर अपने हमसफ़र को पा लेने की

 कोशिश की ख़ुशी किसी को नहीं पता

इन सब मुलाकातों का एक हिस्सा बनती है वो चाय की ट्रे

अहमियत कुछ ख़ास नहीं उसकी मगर बातचीत शुरू करने का हिस्सा बनती है वो दर्शक बन कर

देख लेती है दो अजनबियों की हिचकिचाहट को हाँ में बदलते हुए

देख लेती है एक लड़की का दिल फिर से टूटते हुए उस वजह से जिस पे उसका कोई जोर नहीं

देख लेती है वो उन प्रेमियों के मिलने की ख़ुशी और बिछड़ जाने का अनजाना डर

बहुत कुछ महसूस कर लेती है..... वो चाय की ट्रे

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