Memories

The places where moments reside

PACH 7 : कविता और मस्ती का विवाह

                         

मैं : 10 baje ?? वो भी sunday को?? जागरण करवा दिया..

PACH : बिलकुल करवा दिया ..

" बेटा लग गयी तेरी लंका " . दिल ने यही सोचा. Sunday को भी CP बुला लिया. रोज़ की भाग दौड़ कम नहीं है क्या? अब तो जो हो गया, सो हो गया. चलो मिल के आते हैं, कुछ दोस्त बना कर आते हैं. Saturday रात को ही पता लग गया था कि जाना पड़ेगा अगले दिन. आखिर शादी जो थी..Poetry weds Humour . खूबसूरत पोस्टर .

शादी का कार्ड 

इस बारात के लिए हम तैयार थे अपनी कविताओं के साथ. मगर PACH के साथ जुड़ाव कि कहानी थोड़ी पुरानी है, और अलग भी. कहाँ से शुरू हुई ? शायद Indiblogger meet से. आखिरी meet कि pics में दिखी थी एक लड़की. नाम था Saumya Kulsheshta . एक दिन इसकी कविता देखी Twitter पर. आखिर में शब्द थे #PACH . थोड़ी खोजबीन के बाद पता चला कि यह एक अनूठा ही जमावड़ा है. फिर एक दिन पता लगा कि twitter पर एक tweetathon है एक घंटे का. हम भी अजनबियों कि तरह बस आ गये अपनी लाइन्स का पिटारा ले कर. कितना भेज देते 60 मिनट में? कोई 10 -12 ही भेजी होंगी दिल कि बातें. कोई उम्मीद नहीं थी किसी चीज़ की. 2 दिन बाद देखा तो हम विजेता थे. CBI investigation किया तो पता चला ताबड़ तोड़ RT थे tweets उस दिन के. वो पहली मुलाकात थी PACH के साथ. पहले भी आने का न्योता था मगर अजनबियों के बीच डर लग रहा था. बेहद नर्वस. 3 हफ्ते बाद आज हिम्मत की चलो चलते हैं. कुछ नहीं होगा तो इनाम के लिए ही शुक्रिया अदा कर आयेंगे. 10 बजे के चक्कर में 8:15 बजे मेट्रो पकड़ी और 9:३० तक राजीव चौक. CCD Lounge , N ब्लाक. यही पता था .

बाहर निकला तो हर वक़्त भीड़ भाड़, शोर शराबे वाले CP में एक अलग सी शांति देखी. 2 लड़के मज़े से पार्किंग स्पेस में बैडमिंटन खेल रहे थे. नेट की जगह एक डिस्पोजेबल गिलास था मार्कर के तौर पर. फिर दिखा वो लड़का..शक्ल से कॉलेज का लग रहा था, बैग टाँगे हुए, हाथ में मोबाइल कुछ अलग तरह से पकड़े हुए. पास जा कर देखा तो बायें हाथ का पंजा नहीं था . कुछ पल सन्न रह गया मैं मगर फिर उसके जज़्बे को सलाम किया. किसी लाइब्रेरी का पता पूछ रहा था. फिर वो निकला अपने रस्ते और मैं फिर मस्त हो गया बैडमिंटन में. घड़ी देखते देखते cross किया E block , N ब्लाक. यार अब CCD ढूंढो. दांडी मार्च हो गया धूप में.

                                 

पसीने से तर - बतर पेड़ के नीचे बैठे ठंडक ली. 10 पार हो गये तो फिर घूमा Saumya को फ़ोन जगह confirm करने के लिए. " अबे मैं लेट तो नहीं हुआ , सब आ गये लगता है " - यह ही चल रहा था दिमाग में . जब 1 st फ्लोर पर पहुचे तो अन्दर की धीमी रौशनी में आँखों को एडजस्ट करने में वक़्त लगा. कुछ लोग बैठे नज़र आये तो धीरे धीरे वहाँ चला. Hi Shwetabh सुनाई दिया तो समझ आ गया सही जगह आया हूँ. Saumya पहचानी नहीं गयी. मुझे याद थी एक हँसती लड़की , यहाँ दिखाई दी चश्मा लगाए एक चुलबुली लड़की, Chocolate की दीवानी . 2 -3 लोग और बैठे थे. सबसे पहचान हुई.

Saumya की duracell बैटरी 

मेरा परिचय दिया गया Tweetathon Winner के रूप में. कुछ देर बाद 
बाकी सब आने लगे धीरे धीरे . अनूप आये , थोडा बहुत जानता था 
उनके बारे में. मगर यार यहाँ तो सब मुझे जानते थे. Winner शब्द 
सुनते ही " ओ तो आप हैं" सुनने को मिलता था. यह बारात और शादी 
कुछ अलग ही होने वाली थी. धीरे धीरे वो PACH मेंबर्स के दोस्त भी 
आये. कविताओं का शौक रखने वाले हर इंसान का स्वागत PACH 
में. अच्छा लगा यह अंदाज़. फिर शुरू हुआ आज की शादी का concept 
और पोस्टर समझाने का सिलसिला. मस्त. शादी तो बस बहाना था. 
होनी तो मस्ती ही थी. ढेर सारी Cappacino , Latte , असम चाय, 
Hot चॉकलेट , Sub सैंडविच , मोमो, चिप्स, Platter के बीच शुरू हुई 
intro की महफ़िल. खाली पेट कहाँ कुछ शुरू होता है?

प्लेटों पर एक नज़र डालें ज़रा 

सब तरह के लोग थे- अलग अलग जगह से. यहाँ काम को पीछे छोड़ कर मस्ती करने आये थे. वो कहते हैं न- लोग जुड़ते गये और कारवां बनता गया. हाथ में थे पैड्स, मोबाइल जिन पर दिल की कही बातें लिखी हुई थी सबकी. और मेरे पास? सिर्फ मेरे ब्लॉग पर लिखी हुई चंद कविता. शुरुआत हुई मुझसे. और मेरे पास क्या था? 

एहसास..वही कविता जिसको लिखने में 7 दिन लगे थे तब. जिसमें पहले प्यार का पूरा एहसास लिखा था. खत्म होने के बाद जब नज़रें उठायी तो सब एहसास के समां में बंधे दिख रहे थे. लय बन गयी तो धीरे धीरे सब शुरू हुए. कोई हिंदी, कोई अंग्रेजी. भाव सबका एक- दुनिया को अपने अपनों शब्दों से देखने का.

एहसास 

सुनी तो बहुत कविता मगर क्या करूँ ??? कविता रस तो external HDD का था 1 TB मगर मेरे दिमाग के processor के साथ तो floppy लगी हुई थी 1.44 MB . हर कविता की highlight रिकॉर्ड हो रही थी. हँसी की शुरुआत शुरू हुई " चल दी " के साथ. सुनाने वाला शायद shobhit था. आया तो सिर्फ सुनने था मगर बायीं आँख का किस्सा ऐसा चला की सब के सब हँस हँस के लोटपोट हो गये.. आँखों से आँसू निकलवा दिए.

Anoop ji ka duet

बेहतरीन लगी अनूप जी की जुगलबंदी वाली कविता जिसमें सवाल और जवाब दोनों ही मिले. एक इंसान की कमी को बखूबी महसूस कराया उन्होंने.

Navin ji

सोच में डालने वाली नवीन जी की भी थी जो उन्होंने अपनी दोस्त की पढ़ी थी. एक लड़की का हिंदी से दोबारा नाता जुड़ते फिर दिखा उसमें. PACH की हर कविता के बाद उसकी गहराई में उतर जाते थे सब. 

कर्फ्यू तिवारी का सफ़र 

सुधांसू ( Sudhanshu) की कर्फ्यू तिवारी सच में धांसू थी. ज़िन्दगी का पूरा फलसफा तय कर गयीं वो पंक्तियाँ. नबीला जी की कविता से ज्यादा तो उनके मज़े लिये सबने.शादी वाला माहौल- हँसी मज़ाक.

Aaqib

आकिब - उसकी `Waxing ` मेरा मतलब है की कविता फिर हँसा गयी और कुछ मेहमान भी बुला ले आई. आये थे कुछ लोग CCD में काम से, हमारी हँसी , ठहाकों की आवाज़ से हमसे मिलने ही आ गये. 
Vineet जी अपनी फुर्सत के कुछ पल लम्हों में अपनी आपबीती सुना गये और ठहाके लगवा कर अगली बार आने का न्योता भी ले गये. `62 वाले मामा` के घर पहुँचते पहुँचते DTC बस में जेब भी कट गयी किसी की , 

नन्नो 

तो "मेरी नन्नो" 15 मिनट में वसंत कुंज से CP पहुँचा कर कार से F 1 कार बन गयी. आस्था- डरी, घबराई सी , कुछ कहना चाहती थी मगर कहने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी. हौंसला बढ़ाने के बाद उनकी 3 कविताओं ने भगवान से सवाल कर खुद जवाब भी ले लिये. 

रात के आंचल से 

इसी बीच `रात के आँचल में` कहे हुए मेरे जज़्बात फिर बरस गये.

Avika

"मेरा `नया` फ़ोन"..... भई पहचाना तो ऐसे ही था Avika को. जबसे आई थी तबसे मेरा `नया` फ़ोन पर ध्यान था. जब उसकी लाइन्स बोली तो सब मानो बारिश में भीग ही गये .

 Mago

मागो- यह थे वो. PACH के Humour डिपार्टमेंट का HOD कहा जाता है इन्हें. खिल खिला कर माहौल खुशनुमा करने की काबलियत है मगर `हिचकी` और `श्रेष्ठ ` से अपना एक दूसरा ही रूप दिखा गये. चमगादर पर भी कुछ हो गया. मगर दिल को छू लेने वाली 2 तो अभी बाकी थी.



मुज्ज़फर्नगर दंगों में एक पुलिस ऑफिसर की एक निर्दोष को गोली मारने की घटना पर लिखी कविता सबको स्तब्ध कर गयी. एक अलग सा सन्नाटा पसर गया. पता नहीं क्यूँ मगर मुझे फिल्म Tango Charlie का वही सीन याद आया. अपनी अंतरात्मा से जूझने की एक लड़ाई . कभी कभी फिल्म और असली ज़िन्दगी में कोई फर्क नहीं रह जाता. 

इसी के टक्कर की एक और कविता Gurnaam जी ने सुनाई थी - "वो फलदार पेड़ ". फलदार पेड़ों की कमी और उनकी उपेक्षा को क्या खूबसूरती से शब्दों के सांचे में डाला था. उस एक पेड़ ने कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह दिया...वाह...वाह.. WWF India और Greenpeace India से जुड़े होने के कारण शायद यह मुझे दिल के सबसे करीब लगी. 
                                                    
                                                 

करन के दिल की `राख` में सच में एक ख़ुशी थी इश्क की चलो गये तो..गये. इश्क का मज़ा ही कुछ और था. कवितायेँ तो औरों की भी बेहतरीन थी मगर क्या करूँ इतना अमृत रस का लोड लेने की आदत नहीं है. 5.30 घंटे कब बीत गये पता ही नहीं चला. इन सबको फ़ौज में होना चाहिए, 1-1 गोली से headshot ले सकते हैं आराम से . 

Aaqib, Sudhanshu, Saayan, Anoop, Navin, Neha, Astha, Aakriti, Raghu, Karan, Shobhit, Mago, Shruti, Sonalika, Saumya.....

और भी ढ़ेर सारे बाकी बेहतरीन लोग. इस शादी की विदाई ये ही सोच कर ली कि, "देवियों और सज्जनों , मिलते हैं अगली मुलाकात में, अगली PACH की महफ़िल तक नमस्कार".

थोडा डरता हुआ, थोडा नर्वस हो कर आया था मगर शायद अच्छे लोगों को जानकार, बेहतरीन दोस्त बना कर बाहर निकला. PACH सच में पागलों की महफ़िल है....यहाँ जज़्बात, हँसी सब मिलते हैं. हँसी ऐसी जो अच्छे अच्छों को हँसा हँसा कर रुला दें और जज़्बात ऐसे की लड़कियों की पलकें भिगो दें .

यह चेहरे बहुत से जज़्बात कह जाते हैं 

तो बस अब इंतज़ार.. PACH 8 का क्यूंकि PACH की महफ़िल किस्मत से ही मिलती है...

                              
PACH 7 : कविता और मस्ती का विवाह PACH 7 : कविता और मस्ती का विवाह  Reviewed by Shwetabh on 12:51:00 AM Rating: 5

8 comments:

  1. Amazing live minutes of PACH you have put up here Shwetabh.I felt like being there.Thank you.

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    1. Jitu ji "i felt like i wa there " sunne ki to ab aadat pad si gayi hai... Glad that you liked it. What you witnessed is the style i write in.

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  2. Jitu beat me to it :p but i would say the same thing.
    Amazing description of a journey we took together :)

    Waiting all the more to see you in the next PACH now...

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    1. Anoop ji thanks. Its just another part of me- the blogger. Some call it live telecast, some call it description. I call it relieving the memories..that what the blog is all about

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  3. Thanks for turning up Shwetabh!

    And this post of yours made me relive everything so very well. It was a great day we had. I will hope to see you at the next PACH, positively!

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    1. Hey...the choclate girl. Thanks. Turn up? Aji hum dil ki.sunne ke baad duniya mein bhi jaa sakte hain

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  4. Thank u so much for this post. I had to leave early but ab thoda kam adhoora pan lag raha hai..

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