इस रात के आँचल से एक तारा तोड़ के लाओ न ,
फिर आकर मेरे पास मेरे दामन पे उससे सजाओ न ..
एक अरसे से यह आँखें सोयी नहीं है , तुम आकर मुझे सुलाओ न ..
वो आवाज़ सुनने को तरस गया है दिल , तुम कहानी कोई सुनाओ न …
इस रात से भी गहरी मेरी तन्हाई हो गयी है , आ जाओ कभी , सीने से मुझे लगाओ न …
सुनकर जिससे मैं ख्यालों में खो जाया करता था , आज फिरसे वही धुन गुनगुनाओ न …
कभी भीगना चाहूँ बारिश में ,कभी छूना चाहूँ फलक को , मेरी मासूम तमन्नाओ को अपनी चाहत बनाओ न …
और कितना इंतज़ार बाकी है मेरी किस्मत में , अब तो मुझ से मिलने आओ न …
कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो , कभी मुझसे रूठो, कभी मुझे
मनाओ न …
कोई खता हो गयी है तो मुझे माफ़ कर दो ,इस तरह बेरुखी से
मुझसे नज़रें फिराओ न …
क्या है दिल में तुम्हारे एक बार कह दो , पर इस तरह चुपचाप मेरी
ज़िन्दगी से जाओ न …
कोई गम है तो दे दो मुझे , तुम मेरी ख़ुशी ले लो , पर मेरी खातिर
तुम एक दफा मुस्कुरा दो न ..!!
इस रात के आँचल से .....
Reviewed by Shwetabh
on
1:17:00 PM
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very beautiful..Good Going Brother
ReplyDeleteThanks a lot...
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