एक दिन यूँ ही कुछ लेने एक दुकान पर पहुँचा तो देखा एक पत्नी Threptin बिस्कुट के डब्बे को देख रही थी. मैं मशगूल हो गया अपना सामान देखने में. कुछ देर बाद देखा तो उस महिला का पति आया और उस डब्बे को वापस रख दिया.
उनकी बातचीत कुछ यूँ हुई –
पत्नी: क्या हुआ ?
पति : कुछ नहीं
पत्नी: तो फिर वो वापस क्यूँ रख दिया
पति : अरे उससे कुछ नहीं होता
पत्नी: होता क्यूँ नहीं, सेहत के लिए सही है
पति : न , बिल्कुल नहीं, मुझे टेस्ट बिलकुल भी पसंद नहीं
पत्नी: सिर्फ टेस्ट है या कुछ और
पत्नी: सही पूछो तो इसको खरीदने की मेरी औकात नहीं है , फिर कभी देखेंगे
बस इतना कहते ही वो आदमी लौट गया और कुछ पल सोचकर फिर पत्नी ने वो डब्बा वापस रख दिया.
फिर उन्होंने एक बिस्कुट का पैकेट उठाया और अपने बच्चे को विडियो कॉल कर बिस्कुट दिखाने लगी.
एक Threptin के डब्बे ने बहुत कुछ बयान कर दिया अपने होने भर से ही. एक पत्नी की चिंता अपने परिवार के लिए, एक पति का अपनी जेब देखना कुछ खरीदने से पहले और उस पत्नी का समझ जाना वो बात, एक बच्चे की मासूमियत कि अभी वो इन बातों से अनजान है कि उसके मम्मी पापा कैसे परिवार साथ के कर चल रहे हैं .
फिर उन्होंने एक बिस्कुट का पैकेट उठाया और अपने बच्चे को विडियो कॉल कर बिस्कुट दिखाने लगी.
एक Threptin के डब्बे ने बहुत कुछ बयान कर दिया अपने होने भर से ही. एक पत्नी की चिंता अपने परिवार के लिए, एक पति का अपनी जेब देखना कुछ खरीदने से पहले और उस पत्नी का समझ जाना वो बात, एक बच्चे की मासूमियत कि अभी वो इन बातों से अनजान है कि उसके मम्मी पापा कैसे परिवार साथ के कर चल रहे हैं .
दिल की कलम से : वो threptin का डब्बा
Reviewed by Shwetabh
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9:08:00 PM
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