Shwetabh
11:12:00 PM
कुछ खामोशियाँ हैं यूँ हवाओं में इंतज़ार करती तुम्हारे या मेरे बोलना का लफ़्ज़ों की भीड़ में, खामोशियों का सन्नाटा है तुम ब...
खामोशियाँ......
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